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कैसे चुनें सही होम लोन फाइनेंसर

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याद हैं ? महाभारत में कैसे कौरवो ने कृष्ण को छोड़ उनकी सेना को चुना था और पांडवो ने सारथि के रूप में कृष्ण को। पांडवो के यह एक सही फैसले ने उनको उनकी जीत दिलाई थी। वैसे एक सही मकान लेना और उसको अपना घर बनाना किसी युद्ध से तो कम नही। अपने आपको बधाई दीजिये और गर्व करिए क्योंकि आप एक योद्धा बन चुके हैं। इस युद्ध में आपको साथ देती हैं आपकी बैंक , और उस बैंक से लिया हुआ होमेलॉन। होम लोन फाइनेंसर चुनना कोई छोटी बात नहीं है, और जबकि लोन की राशि और आरओआई इस चयन में भाग नहीं लेते हैं, कई अन्य कारक एक भूमिका निभाते हैं।

तो इस युद्ध में आपके सारथि यानी की सही होम लोन फाइनेंसर चुनने में हम आपकी मदद करेंगें । 

  1. लेंडर की प्रसिद्धि : एक प्रसिद्ध फाइनेंसर ऐसा कोई रिस्क नहीं लेगा जिससे उसकी सोशिअल इमेज पे कोई दाग लगे। वह “काम से काम” रखने वाले और अपना काम सारे नियमो के अनुसार करने वाले फाइनेंसर होते है , जिससे की आप उन पर ज़्यादा भरोसा कर पातें हैं। वह लोग अपनी कंपनी में काफी अनुभवी और जानकार लोगो कों नियुक्त करते हैं , और उसकी वजह से आपको बहोत बेहतर और सच्ची कॉउंसलिंग मिलती हैं जो आपको सारी ज़रूरी जानकारी देता हैं ताकि आप एक सही निर्णय ले सकें। जब आप एक छोटी दुकान से जूते खरीदते हो तब उस को १० बार पहनकर , उसको हर दिशा में मोड़कर परखते हो की सही हैं की नहीं पर जब किसी बड़े मॉल में जाते हो तब “ब्रांडेड हैं” बोलकर उस पर विश्वास कर लेते हो। यह प्रसिद्धि हैं जो आपको विश्वास दिलाती हैं।  
  2. लोन योग्यता : लोन लेने की आपकी योग्यता परखने के लिए अलग अलग फाइनेंसर के पास अलग अलग मापदंड होते हैं। यह निर्भर करता हैं की वो आपको कैसे जाँच रहे हैं , वह आपके बारें में कौनसी कौनसी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं , और आप अपने आप को किस तरह से वहां दर्शाते हैं। (ये एक इंटरव्यू देने के बराबर हैं) पर एक अनुभवी और जानकार लेंडर आपकी सारी जरुरी जानकारी को इकठ्ठा कर और उसे सही तरीके से इस्तेमाल कर आपकी बेहतर प्रोफाइल बना सकता हैं। यही चीज़ आपको फायदा दिला सकती हैं क्युकी आपके पास होंगे बहेतर लोन योग्यता और ज़्यादा ltv (यह आपको बताता है – आपके द्वारा खरीदी गई संपत्ति के कुल मूल्य पर आपको मिले हुए लोन राशि का प्रतिशत ) यह ध्यान रखियेगा की जितनी ज़्यादा बड़ी लोन की राशि उतनी ही ज़्यादा बड़ी EMIs 
  3. सुपर फास्ट डिलीवरी : अपनी लोन एप्लीकेशन के प्रोसेस होने का इंतज़ार करना आपको शायद पसंद ना आये। अब आप होम लोन फाइनेंसर के सामने जा कर “तारीख पे तारीख” तो चिल्ला नहीं सकते। यह प्रोसेस के लिए आवश्यक सारी औपचारिकता हर NBFCs और हर बैंक्स के लिए कही ना कही एक जैसी ही होती है , फिर भी कुछ ऐसे है जो दुसरो के मुकाबले में कम समय लेते है। जैसे की “30 mins में पिज़्ज़ा डिलीवरी” का प्रॉमिस , वैसे ही इन बैंक्स का दावा होता हैं कुछ ही mins में लोन। यह लेंडर भविष्य में भी काफी सरलता और तेज़ी से आपकी मदद कर पायेगा ,इसीलिए इन्ही को चुने। पर ये बात हुई आपके खुश होने की। आपके बिल्डर्स का क्या ? उन लेंडर्स को ढूंढिए जो समय समय पर बिल्डर्स को चुकतान देने के लिए जाना जाता हो। कई दफ़ा आपका बिल्डर ही कई सारे नामों का सुझाव करेगा , और आप अपनी खोज वही से शुरू कर सकते हैं।
  4. इंटरेस्ट रेट – जी बिलकुल। सबसे पहले आपके दिमाग में यही तो आता हैं, हैं ना ? जितना इंटरेस्ट रेट कम , उतना पूरा इंटरेस्ट ऑउटफ्लो कम। इतने में खुश मत होना , एक और चीज़ भी हैं। कुछ लेंडर्स के पास प्री-पेमेंट का विकल्प उपलब्ध होता हैं जिस से आपका इंटरेस्ट ऑउटफ्लो और भी कम होगा। जिसका मतलब है की ज़्यादा ROI होने के बावजूद भी बचत। पर मुनाफा देखकर दस्तावेज पर दस्तखत करने में जल्दी मत करीयेगा। अपने दस्तावेज को अपनी कुंडली की तरह ध्यान से पढ़वाइए , आपका भविष्य उस पर ही निर्भर हैं।
  5. प्रोसेसिंग फीस – यह वो फीस हे जो लेंडर “प्रोसेसिंग” के लिए आपसे लेता हैं। यह सामान्य रूप से लोन की राशि के 0.25% से लेकर 2% जितनी होती है। कुछ लेंडर्स ऐसे भी होते हैं जो एक नियुक्त की हुई राशि ही लेते हैं , लोन की राशि पर निर्भित हुए बगैर। इस राशि को पक्का करने से पहले आप खुलकर बात कर सकते हैं और अच्छे से भावतोल भी करवा सकते है , इस फीस को हो सके उतना कम करवा सकते है।  (अपनी बीवी को ज़रूर ले जाइएगा )।
  6. डिजिटल एक्सेस : पहले मोदी जी ने और अब covid – 19 ने सबको डिजिटली अपना बिसनेस चलाना सीखा दिया हैं। इसमें होम लोन फाइनेंसर भी क्यों पीछे रहे? ऐसे समय में बेहतर हैं की आप एक ऐसे फाइनेंसर को खोजिये जो सारी प्रोसेस ऑनलाइन कंप्यूटर या फ़ोन के माध्यम से करा सके , और आपको उनसे एक भी बार मिलने जाने की ज़रूरत ना पड़े।
  7. फोरक्लोज़र चार्ज :मान लीजिये की आप कोई बहोत बड़ी लोटरी जीते (यही मान लीजिये की, कौन बनेगा करोड़पति में बच्चन साहब से आप बोहोत बड़ी रकम जीते) , और आप अपना सारा लोन एक ही बारी में चुकता कर सकते हो। क्या आपका लेंडर इस फोरक्लोज़र की अलग से फी लेगा ? अगर हाँ , तो आप गलती कर चुके हो। ऐसे कई सारे लेंडर्स हैं जो आपके लोन के फोरक्लोज़र पर कोई चार्ज नहीं लगाएंगे। इस बारे में कोउन्सेल्लिंग के वक्त ही बात कर लें। ज़रूर पूछें की “क्या बैंक फोरक्लोज़र चार्ज लेगी? अगर हाँ तो कितने प्रतिशत ?”
  8. गिरवी रखे दस्तावों की सुरक्षा : आप जब होमेलॉन लेते हैं तब आपके प्रॉपर्टी के दस्तावेज को संपार्श्विक (collateral) रूप से रखा जाता हैं मतलब की वो बैंक के द्वारा गिरवी रखे जाते हैं। अब आपके दस्तावेज आपको आपकी लोन ख़तम होते ही वापस भी तो चाहिए होंगे। तब आप उसे किस हालत में पाना चाहेंगे? आपने जिस तरह से अपनी कॉलेज डिग्री संभलकर रखी हैं (या तो फिर अपने पुराने कुछ प्रेमपत्र)वैसे ही कुछ लेंडर्स बहोत संभालकर आपके दस्तावेज रखते हैं। इसीलिए लोन लेने से पहले आपको इस छोटी बात का भी ध्यान रखना चाहिए और अपने लेंडर्स से बातचीत कर लेने की चाहिए की वो दस्तावेजों को किस तरह सुरक्षित रखने वाले हैं
  9. बिल्डर के साथ टाई – अप : अगर आपका बिल्डर और लेंडर अच्छे दोस्त हुए , तो वो आपके लिए ही फायदेमंद साबित होगा। आप अपने चुने हुए कुछ होम लोन फाइनेंसर में से देख सकते हैं की किसी फाइनेंसर का आपके बिल्डर के साथ टाई – अप हैं या नहीं। क्युकी अगर ऐसा कोई सम्बन्ध निकला तो उससे आपके कई सारे फायदे हो सकते हैं , जैसी की लोन प्रोसेसिंग की प्रक्रिया में तेज़ी , लोन भरपाई में आंशिक फायदा वगैराह
  10. होमेलॉन इंश्योरेंस – होमेलॉन भले छोटा शब्द हैं पर एक बहोत लम्बा चलने वाला वायदा हैं , जो आपको क़ानूनी रूप से कुछ नियमो में बांधता हैं। (अपने आप को शाबाशी दीजिये की आपने इतना बड़ा कदम उठाया हैं) इसीलिए ये सलाह दी जाती हैं की आप अपनी आउटस्टैंडिंग लोन लायबिलिटिस को इन्स्योर करें (कुछ इमरजेंसी परिस्थियों के लिए)  क्यों की यदि आप ये काम नहीं करते और लोन रीपेमेंट के वक्त आपको कुछ हो जाता हैं (भगवान करे ऐसा ना हो) तो आपका नॉमिनी या फिर क़ानूनी उत्तराधिकार को आपकी सम्पति का हक़ प्राप्त नहीं होगा , भले ही कितनी भी EMI का भुगतान हो चुका होगा। आपके पुरे लोन का भुगतान नहीं हुआ होगा तो फिर आपकी सम्पति उनके हाथ नहीं पोहचेगी। इंश्योरेंस स्कीम और भी बहुत सारी इमरजेंसी परिस्थिओं का समावेश करती हैं। आप अपने लेंडर से बात कर आपकी ज़रूरत के हिसाब से होम लोन इंश्योरेंस स्कीम चुन सकते हैं। 

 

तो मुझे लगता हैं की मैंने अब आपको सारे मुद्दों से वाकिफ करवा दिया हैं।अब इतने सारे हथियार के साथ आपके लिए सही सारथि ढूढ़ना और लड़ना बहोत आसान हो जाएगा , ऐसी आशा रखते हैं।

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Interest rates and other charges depend on the products. Please refer to the individual product pages for the rates.

Your home loan will be processed in 2 steps:

  1. You receive the approval of your home loan.
  2. You sign the loan agreement papers and complete other necessary documentation. The loan amount is thereafter paid directly to the builder by Home First Finance Company.

Loan decisions are made in less than a week. You will receive an SMS on your registered mobile number as soon as we make a decision.

HomeFirst does not charge any prepayment fees. This applies to both partial and full repayments. In fact, we have a special Auto-Prepay feature to facilitate this process for you.

HomeFirst offers loan tenures between 1 year to 25 years. If you opt for a longer tenure, you can get the advantage of a lower EMI each month.

HomeFirst can provide finance up to 90% of the property value. The balance has to be arranged by you from other sources. Please note: 90% financing is only available for loans amounting to less than Rs. 30 lakhs.

All co-owners of the property have to be co-applicants to the loan. A person who is not a co-owner can also become a co-applicant to the loan.

During the construction phase, HomeFirst will disburse funds to the builder on your behalf. These will be based on payment requests made by the builder as per the construction schedule.

HomeFirst will charge interest only on the amount disbursed as loan during the construction phase. In this period, interest is charged only on the disbursed loan amount. For example, if you have a sanctioned loan of Rs 10 lakhs, but the property is under construction and we have disbursed only Rs 4 lakhs, you will be charged interest only on 4 lakhs. These interest payments are referred to as pre-EMI interest payments.

EMI payments will start only after completion of the project and registration of the property.

All cheques to HomeFirst should be written out in favor of ‘Home First Finance Company India Limited’.

In the event of an unfortunate incident, home loan insurance will help you or your family pay off the home loan. This ensures that the burden does not suddenly fall upon family members at a bad time.

Send us your resume on careers@homefirstindia.com with the position you are applying for in the subject line.